सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥~~~~~~~~~~~~~~~~~~ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोअ~स्तुते॥~~~~~~~~~~~~~~~~~~सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी। एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥~~~~~~~~~~~~~~~~~~ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्‍टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।।

Tuesday, 9 April 2013

पूजा, होम, व्रत आदि का महत्व-

पूजा, होम, व्रत आदि सब महत्वपूर्ण जानकारी आप के यहाँ पहुँचाने का इस सेवा का मुख्‍य लक्ष्य है ,
आज के यांत्रिक जीवन मे मनुष्य माया मोह के जाल मे फंसकर स्वार्थी , स्‍वाम्‍लबी एवं मनोविकारों के बारे मे सोच कर परेशान होता जा रहा है और उसके पास मोक्ष प्राप्ति के बारे मे सोच ने का समय ही नहीं है । हमारे वेदों, पुराणों में बताया गया है कि बाधाओं  को त्याग कर आनंदमय जीवन, व्यतीत करने का संदेश इन सब में दिया गया है l जो जात, मत, पुरुष, स्त्री आदि भेदों से परे है l यही तरकीब सत्कर्म, सभ्यता और संस्‍कृति  कहलाती है।  मन की शांति स्वास्थ्य लाभ एवं ऐश्वर्य के लिए भी तरकीब बताये गये है।
मनुष्य के पिछले कर्मो को मिटाना असंभव है l लेकिन वर्तमान मे सत्कर्म करके एवं धार्मिक जीवन बिता कर वह भविष्य को उज्‍ववल बना सकता है।
प्रति दिन आरती,पूजा, अर्चना, अभिषेक, आरती, व्रत, जप, होम ,यग्ण कर हम मोक्ष की प्राप्ति कर सकते है।

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