जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ।
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ।
पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥
अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।
सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥
स्तुति
गणपति की सेवा मंगल मेवा सेवा से सब विध्न टरें |तीन लोक तैंतीस देवता द्वार खड़े सब अर्ज करे ||
ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विरजे आनन्द सौं चंवर दुरें |धूप दीप और लिए आरती भक्त खड़े जयकार करें ||गुड़ के मोदक भोग लगत है मूषक वाहन चढ़े सरें |सौम्य सेवा गणपति की विध्न भागजा दूर परें ||भादों मास शुक्ल चतुर्थी दोपारा भर पूर परें |लियो जन्म गणपति प्रभु ने दुर्गा मन आनन्द भरें ||श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुमरयां सब विध्न टरें |आन विधाता बैठे आसन इन्द्र अप्सरा नृत्य करें ||देखि वेद ब्रह्माजी जाको विध्न विनाशन रूप अनूप करेंपग खम्बा सा उदर पुष्ट है चन्द्रमा हास्य करें |दे श्राप चन्द्र्देव को कलाहीन तत्काल करें ||चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज करेंउठ प्रभात जो आरती गावे ताके सिर यश छत्र फिरें |गणपति जी की पूजा पहले करनी काम सभी निर्विध्न करें |श्री गणपति जी की हाथ जोड़कर स्तुति करें ||
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