सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥~~~~~~~~~~~~~~~~~~ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोअ~स्तुते॥~~~~~~~~~~~~~~~~~~सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी। एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्‌॥~~~~~~~~~~~~~~~~~~ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्‍टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।।

Sunday 8 September 2013

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी 
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी ।

पान चढ़े फल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा ॥
अंधे को आँख देत कोढ़िन को काया 
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।

सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ॥
स्तुति
गणपति की सेवा मंगल मेवा सेवा से सब विध्न टरें |
तीन लोक तैंतीस देवता द्वार खड़े सब अर्ज करे ||


ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विरजे आनन्द सौं चंवर दुरें |
धूप दीप और लिए आरती भक्त खड़े जयकार करें ||

गुड़ के मोदक भोग लगत है मूषक वाहन चढ़े सरें |
सौम्य सेवा गणपति की विध्न भागजा दूर परें ||

भादों मास शुक्ल चतुर्थी दोपारा भर पूर परें |
लियो जन्म गणपति प्रभु ने दुर्गा मन आनन्द भरें ||

श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुमरयां सब विध्न टरें |
आन विधाता बैठे आसन इन्द्र अप्सरा नृत्य करें ||

देखि वेद ब्रह्माजी जाको विध्न विनाशन रूप अनूप करें
पग खम्बा सा उदर पुष्ट है चन्द्रमा हास्य करें |
दे श्राप चन्द्र्देव को कलाहीन तत्काल करें ||

चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज करें
उठ प्रभात जो आरती गावे ताके सिर यश छत्र फिरें |

गणपति जी की पूजा पहले करनी काम सभी निर्विध्न करें |
श्री गणपति जी की हाथ जोड़कर स्तुति करें ||


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